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छोटी सी जगह पर कर सकते हैं कई सब्जियों की खेती, बस यह सलाह मान लीजिए

हमारे ख़ास कार्यक्रम 'मत छोड़िए गाँव' में कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर की गृह वैज्ञानिक डॉ रीमा बता रहीं हैं कि कैसे आप "पोषण वाटिका" यानि किचन गार्डन शुरू कर सकते हैं, जो न केवल कुपोषण से बचाव करेगा बल्कि आपको ताजा और पौष्टिक सब्जियों भी मिलती रहेंगी। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जो शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और अपनी बालकनी या छत पर सब्जियाँ उगाना चाहते हैं, साथ ही ग्रामीण लोग अपनी आय को बढ़ाने के लिए इसे अपना सकते हैं।

आज के समय में सब्जियों और फलों में अत्यधिक पेस्टिसाइड्स का उपयोग एक गंभीर समस्या बन गया है। यह केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैंसर जैसी बीमारियों का बढ़ता प्रतिशत इसकी एक बड़ी वजह है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में भी लोगों सब्जियाँ उगाना कम कर दिया है, जिसके कारण वे बाजार से पेस्टिसाइड युक्त सब्जियों पर निर्भर हो गए हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए पोषण वाटिका एक प्रभावी समाधान है, जो न केवल कुपोषण से बचाती है बल्कि अतिरिक्त आय का भी साधन बन सकती है।

पोषण वाटिका लगाते समय रखें इन बातों का ध्यान

स्थान का चयन: पोषण वाटिका के लिए ऐसी जगह चुनें जहाँ पर्याप्त धूप हो और पानी का जमाव न हो। यह सुनिश्चित करें कि बारिश के समय पानी का उचित निकास हो।
क्यारियाँ तैयार करें: क्यारियाँ बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी अच्छी तरह से निकले और पौधों को पर्याप्त जगह मिले।
फसल का चयन: पोषण वाटिका में आप रबी और खरीफ दोनों मौसम की सब्जियाँ उगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, गर्मियों में भिंडी, लौकी, टमाटर, हरी मिर्च, और सर्दियों में पालक, मेथी, गाजर जैसी सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं।

 

पौधों का सही ढंग से लगाना

बड़े पौधे किनारे पर लगाएँ: बड़े पौधे जैसे केले, पपीते आदि को किनारे पर लगाएं ताकि उनकी जड़ें पोषण वाटिका के अंदरूनी हिस्से को न प्रभावित करें।
पत्तेदार सब्जियाँ बीच में लगाएं: पालक, चौलाई, मेथी जैसी पत्तेदार सब्जियों को क्यारियों के बीच में लगाएं ताकि वे सही ढंग से बढ़ सकें।
सहारे वाले पौधे: लौकी, तोरई, खीरा जैसे बेल वाले पौधों के लिए सहारे की आवश्यकता होती है, इसलिए इन्हें किनारों पर लगाकर ऊपर की तरफ सहारा दिया जा सकता है।

पोषण वाटिका की देखभाल

सिंचाई: पोषण वाटिका में पानी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पत्तेदार सब्जियों को रोजाना सिंचाई की आवश्यकता होती है, जबकि अन्य सब्जियों को हर दूसरे या तीसरे दिन पानी देना चाहिए।
खाद का प्रयोग: पोषण वाटिका में जैविक खाद का उपयोग करें। वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद और किचन वेस्ट से बनी खाद पौधों के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। अंडे के छिलकों से भी पौधों को कैल्शियम मिलता है।

 

प्राकृतिक कीटनाशक और रोग नियंत्रण

प्राकृतिक उपाय: पेस्टिसाइड्स के बजाय नीम का तेल और सोलर लाइट ट्रैप जैसे प्राकृतिक उपाय अपनाएं। इससे कीटों और बीमारियों से पौधों की सुरक्षा होगी और सब्जियाँ सुरक्षित रहेंगी।
मैनुअल नियंत्रण: खरपतवार को नियमित रूप से हटाएं और पौधों का ध्यान रखें। पोषण वाटिका में पेस्टिसाइड्स का अत्यधिक उपयोग न करें क्योंकि इससे पौधों की गुणवत्ता और पोषक तत्वों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

पोषण वाटिका के फायदे

कुपोषण से बचाव: पोषण वाटिका से आप ताजा और जैविक सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं, जिससे कुपोषण से बचाव होगा। बच्चों और बुजुर्गों को स्वस्थ और संतुलित आहार मिलेगा।
आय का साधन: ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी उपज का उपयोग खुद के लिए कर सकते हैं या बाजार में बेचकर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।
शहरी जीवन में लाभ: शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपनी बालकनी या छत पर यह किचन गार्डन बना सकते हैं, जिससे उन्हें ताजी और सुरक्षित सब्जियां मिल सकेंगी।

पोषण वाटिका एक ऐसा समाधान है जिससे आप अपने परिवार की सेहत सुधार सकते हैं और साथ ही खुद की सब्जियों का उत्पादन करके बाजार की पेस्टिसाइड युक्त सब्जियों से छुटकारा पा सकते हैं। थोड़ी सी जगह और थोड़े से प्रयास से आप अपने घर के आहार को अधिक पौष्टिक बना सकते हैं।

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