पंजाब उपचुनाव: उम्मीदवारों की किस्मत EVM में बंद, चारों सीटों पर 63 फीसदी मतदान, जानें क्या हैं इसके मायने
पंजाब की डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा, बरनाला और चब्बेवाल सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान संपन्न हो गया। चारों सीटों पर 63 फीसदी मतदान हुआ। सबसे ज्यादा मतदान गिद्दड़बाहा और सबसे कम चब्बेवाल में हुआ।

पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान हुआ। इन चारों सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। अब 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे, जिन्हें जनता ने बहुमत देकर अपना चेहरा चुना है। शाम 6 बजे तक चारों सीटों पर 63 फीसदी मतदान हुआ। उपचुनाव की सबसे हॉट सीट गिद्दड़बाहा में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई है। यहां जनता ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 81 फीसदी वोटिंग की। वहीं सबसे कम वोटिंग चब्बेवाल सीट पर देखने को मिली, जहां 53 फीसदी वोटिंग हुई। इस बार चारों सीटों पर उपचुनाव में वोटिंग प्रतिशत के भी कई मायने हैं। इसे सीधे तौर पर जनता की नाराजगी और बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है। पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के उपचुनाव न लड़ने से चारों सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला जरूर था, लेकिन चुनाव के आखिरी दौर में शिअद नेताओं ने पिछले दरवाजे से दूसरे दलों के उम्मीदवारों को समर्थन देकर चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया। इस उपचुनाव में चब्बेवाल सीट से आम आदमी पार्टी के सांसद डॉ. राज कुमार चब्बेवाल के बेटे, गिद्दड़बाहा से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की पत्नी इशांक चब्बेवाल, अमृता वड़िंग, भाजपा से मनप्रीत बादल और डेरा बाबा नानक से जतिंदर कौर रंधावा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
गिद्दड़बाहा में शिअद का वोट बैंक निर्णायक होगा
2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों की तरह गिद्दड़बाहा में भी बंपर वोटिंग देखने को मिली। यहां जनता ने 81 फीसदी वोट किया। 2017 और 2022 में भी इसी अंदाज में वोटिंग ने कांग्रेस के लिए जमीन तैयार की थी। हालांकि इस बार चुनाव न लड़ने के कारण अकाली दल का वोट बैंक निर्णायक साबित होगा, क्योंकि 2017 और 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस और शिअद के बीच ही टक्कर देखने को मिली थी। इस बार कांग्रेस के सामने भाजपा और आप हैं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा और आप से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार पूर्व अकाली रहे हैं। 2017 में 88.79 फीसदी, 2022 में 84.93 फीसदी और इस उपचुनाव में 81 फीसदी वोटिंग हुई थी। पिछली बार भी तीन से चार फीसदी कम वोटिंग के बावजूद नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नजर आए थे। हालांकि इस बार भाजपा और आप से दो पूर्व अकाली नेता मैदान में हैं। बादल परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा से मनप्रीत सिंह बादल और आप से पूर्व अकाली नेता हरदीप डिंपी ढिल्लों मैदान में हैं। गिद्दड़बाहा में शिअद का अच्छा वोट बैंक माना जाता है, इसलिए जिस तरह से मतदान से ठीक पहले सुखबीर बादल और डिंपी ढिल्लों के पोस्टरों ने हलचल मचाई, उससे साफ है कि अकाली दल का वोट बैंक ही जीत-हार तय करेगा।
चब्बेवाल में सामने आई लोगों की नाराजगी
कंडी क्षेत्र की चब्बेवाल सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आपको चौंका सकते हैं। उपचुनाव में यहां सबसे कम 53 फीसदी वोटिंग देखने को मिली है। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां 74.20 फीसदी वोटिंग हुई थी और 2022 में यहां 71.19 फीसदी वोटिंग हुई है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में भी यहां 61.30 फीसदी वोटिंग देखने को मिली थी, लेकिन उपचुनाव में सिर्फ 53 फीसदी वोटिंग से पता चलता है कि हलके के लोग वोट देने के लिए घरों से बाहर नहीं निकले। इसे जनता की नाराजगी और बदलाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके क्षेत्र से 61.30 फीसदी वोटिंग ने उनकी जीत में अहम योगदान दिया, जिसे उनके राजनीतिक दबदबे से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यहां से आप के खिलाफ भाजपा से सोहन सिंह ठंडल और कांग्रेस से रंजीत कुमार मैदान में हैं। ठंडल चार बार विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं, इसलिए यहां आप और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।
डेरा बाबा नानक में नए चेहरे पर भरोसा
सीमावर्ती क्षेत्र डेरा बाबा नानक में कांग्रेस के नए चेहरे पर भी भरोसा जताया जा रहा है। उपचुनाव में यहां 63 फीसदी वोटिंग हुई है। बेशक 2017 और 2022 के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत कम रहा है, लेकिन कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाना आसान नहीं माना जा रहा है। 2017 में यहां 78.29 फीसदी वोटिंग हुई थी और 2022 के विधानसभा चुनाव में 73.70 फीसदी वोटिंग हुई है। अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर रंधावा ने 65.30 प्रतिशत वोटिंग के साथ जीत दर्ज की थी। अब उनकी पत्नी जतिंदर कौर रंधावा मैदान में हैं। आप से गुरदीप सिंह रंधावा और भाजपा से रवि करण सिंह कहलों यहां मैदान में हैं। जतिंदर कौर और कहलों का राजनीतिक वजूद है। हालांकि रंधावा ने 2022 में भी किस्मत आजमाई है। कम वोटिंग प्रतिशत के बावजूद कांग्रेस के नए चेहरे पर भी भरोसा जताया जा रहा है। बरनाला में आप के लिए सबसे बड़ी चुनौती बागी से बरनाला के शहरी क्षेत्र में हुए उपचुनाव में सिर्फ 54 प्रतिशत मतदान हुआ है। बरनाला में बागी नेता गुरदीप बाठ ने आप के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। आप के पूर्व जिला अध्यक्ष गुरदीप बाठ ने टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ दी और आप उम्मीदवार हरिंदर सिंह धालीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा। संगरूर के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के सहपाठी धालीवाल को पार्टी से टिकट उन्हीं की बदौलत मिला है। बरनाला में 78.17 प्रतिशत मतदान