
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलावों की बात कही। उन्होंने कहा कि वह मेल वोटिंग और ईवीएम मशीनों को खत्म कर देंगे।
बता दें कि ट्रंप ने कहा कि वह 2026 के मध्यावधि चुनावों से पहले निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगे। इसके लिए वह एक नया कार्यकारी आदेश लाने का दावा कर रहे हैं।
अमेरिका के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति के पास ऐसा करने का सीधा अधिकार नहीं है। बता दें कि चुनावी व्यवस्था में बदलाव का अधिकार केवल कांग्रेस और राज्यों के पास है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि अमेरिका में ‘बड़ी चुनावी धोखाधड़ी’ हो रही है। उनका आरोप है कि मेल वोटिंग से धोखाधड़ी होती है और ईवीएम विश्वसनीय नहीं हैं।
हालांकि, अमेरिका में चुनावी धोखाधड़ी बहुत कम होती है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, 2020 के चुनावों के बाद की समीक्षा में केवल 475 संभावित मामले पाए गए, जो किसी भी तरह से चुनाव परिणामों को प्रभावित नहीं कर सके।
ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जो मेल वोटिंग करता है, जबकि सच्चाई यह है कि जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन समेत कई देश इसे अपनाते हैं।
डाक मतदान पर ट्रंप का हमला
ट्रंप का सबसे बड़ा निशाना डाक मतदान है। उनका कहना है कि सभी मतपत्र चुनाव के दिन तक मतदान केंद्र तक पहुँच जाने चाहिए, सिर्फ़ डाक टिकट लगा होना ही काफ़ी नहीं है।
वाशिंगटन और ओरेगन जैसे राज्य, जो पूरी तरह से डाक मतदान के ज़रिए चुनाव कराते हैं, ट्रंप के आदेश के ख़िलाफ़ पहले ही अदालत जा चुके हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रपति को ऐसे निर्देश देने का अधिकार नहीं है।
ट्रंप ने वोटिंग मशीनों पर भी निशाना साधा
ट्रंप ने दावा किया कि वोटिंग मशीनें बहुत महंगी हैं और उनकी जगह वॉटरमार्क वाले कागज़ों का इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको बता दें कि अमेरिका में ज़्यादातर जगहों पर पहले से ही मतपत्रों का इस्तेमाल होता है।
वोटिंग मशीनें सिर्फ़ मतगणना और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का काम करती हैं। दूसरी ओर, वॉटरमार्क वाले मतपत्र धोखाधड़ी को रोक सकते हैं, लेकिन वे मतगणना प्रक्रिया को तेज़ नहीं कर सकते।
अमेरिकी राष्ट्रपति की सीमित भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि राज्यों को संघीय सरकार यानी राष्ट्रपति के निर्देशों का पालन करना होगा। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह संविधान की गलत व्याख्या है।
अमेरिकी संविधान के अनुसार, चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी राज्यों की है। संघीय चुनावों (राष्ट्रपति और कांग्रेस) के नियम तय करने का अधिकार कांग्रेस के पास है। इस प्रक्रिया में राष्ट्रपति को कोई अधिकार नहीं दिया गया है।
अदालतें पहले ही रोक चुकी हैं
बता दें कि ट्रंप ने पहले भी चुनाव संबंधी कुछ आदेश जारी किए थे, लेकिन अदालतों ने उन्हें तुरंत रोक दिया था। इसकी वजह यह थी कि राष्ट्रपति चुनाव संबंधी नियम नहीं बना सकते।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर ट्रंप दोबारा आदेश लाते भी हैं, तो इसका कोई असर नहीं होगा। असली बदलाव कांग्रेस के ज़रिए ही संभव है।