छत्तीसगढ़

कहीं खेला न हो जाए..इसलिए कांग्रेस ने बदली रणनीति

रायपुर

 रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव को काफी गंभीरता से ले रही हैं दोनों प्रमुख पार्टियां,इसलिए कि यह प्रतिष्ठा का सवाल है। एक नहीं कई के लिए। जहां तक कांग्रेस का सवाल है नए चेहरे युवा कांग्रेस अध्यक्ष आकाश शर्मा पर इस बार दांव लगाया है,जो दौड़ में शामिल बड़े चेहरों को चित्त करने में सफल रहे और दिल्ली से अपने नाम पर मुहर लगवा ली.टिकट तो ले लिया है लेकिन चुनाव कैसे जीत पायेंगे,इस पर भी सवाल उठने लगा हैं,क्योकि सत्ताधारी दल हर मायनो में बीस ही पड़ेंगे,वहीं अपने उत्तराधिकारी को जितवाने बृजमोहन अग्रवाल भी पूरी ताकत झोकेंगे। इसलिए यह कहना उचित नहीं कि बृजमोहन मैदान में नहीं हैं। दूसरा अहम सवाल क्या कांग्रेस एकजुट हैं? जिनकी टिकट कटी क्या वे सहयोग करेंगे?

जैसे कि सियासी बोलचाल में सहज ही कहा जाता है कि कांग्रेसी ही काफी है कांग्रेस को निपटाने में,क्या यह ठप्पा हटेगा.? यहीं कुछ भांपकर पीसीसी ने इस बार चुनावी रणनीति बदल दी है। चुनाव की मानीटरिंग भले ही पीसीसी की ओर से होगा लेकिन वार्ड के पार्षद व छाया पार्षदों को कह दिया गया है उन्हे केवल अपने वार्ड का जिम्मा लेना है। आगे निकाय चुनाव में इसी आधार पर पार्षद के लिए नाम तय करेगी पार्टी,वहीं बड़े नेता भी मोर्चा संभालेंगे।  दोनों ही दलों में टिकट न मिलने वालों के बीच कहीं न कहीं नाराजगी तो हैं,भले ही वे जाहिर न करें। इसे कैसे भुनाया जाए इसका प्रयास भी दोनों दल के रणनीतिकार करेंगे। हरियाणा चुनाव में जिस प्रकार का खेला कांग्रेस पार्टी के साथ हुआ वैसा कहीं इस उपचुनाव में न हो इसके लिए प्रभारी सचिन पायलट की एक टीम रायपुर पहुंचने वाली है जो चुनाव खत्म होते तक यहां डटेगी। अभी तो शर्मा जी बड़े नेताओं के पास आर्शिवाद लेने व मान मनौव्वल में जुटे हुए है। नामांकन के बाद आगे की तस्वीर साफ होगी। 

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