मध्य प्रदेश

अचानक हॉकफोर्स कैम्प पहुंचे डी.जी.पी., मध्यप्रदेश का दो दिवसीय बालाघाट दौरा, जवानों के साथ गुजारी रात

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा नक्सलवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेन्स नीति के तहत नक्सल समस्या को समूल नष्ट करने लिए समय समय पर मार्गदर्शन दिया जा रहा है। इसी तारतम्य में मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सल विरोधी अभियान को गति देने के लिए पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश श्री सुधीर कुमार सक्सेना ने जिले का दो दिवसीय भ्रमण किया।

ट्रायजंक्शन कैम्प में पहुंचे डी.जी.पी.
12 अक्टूबर की रात को डी.जी.पी भोपाल से गोंदिया पहुंचे जहां से लगभग डेढ़ घंटे चलकर मुरकुटडोह ज्वाइंट टॉस्क फोर्स कैम्प का भ्रमण किया। ऑपरेशनल कारणों से इस दौरे को पूर्णतः गोपनीय रखा गया था। मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ के ट्रायजंक्शन सीमा क्षेत्र में स्थापित मुरकुटडोह सुरक्षा कैम्प महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में है। इस कैंप में महाराष्ट्र पुलिस की C-60 फोर्स, छत्तीसगढ़ की DRG फोर्स एवं मध्यप्रदेश की हॉक फोर्स तैनात है। इस कैंप का निर्माण अबूझमाड से आने वाले नक्सलियों को रोकने के लिए किया गया है। भ्रमण के दौरान उन्होंने समन्वय एवं संयुक्त अभियानों की समीक्षा की तथा उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दिया। सभी जवानों से सामूहिक तथा व्यक्तिगत चर्चा कर उनके द्वारा किये जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों तथा समस्याओ के बारे में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने विषम परिस्थितियों में रहकर भी साहस तथा समर्पण के साथ कार्य करने वाले इन जवानों की प्रशंसा की तथा मनोबल बढाया।

थम… कौन है ? – गेट पर देना पड़ा परिचय
इसके बाद डी.जी.पी. ने बालाघाट जिले में स्थापित हॉकफोर्स कैम्प पितकोना,  डाबरी,  सोनगुड्डा, डोरा एवं सीआरपीएफ के कैम्प बिठली का औचक भ्रमण किया। जब डी.जी.पी. हॉक कैम्प पर पहुंचे वहां संतरी द्वारा सुरक्षा प्रोटोकाल के तहत उनसे परिचय पूछा एवं पासवर्ड बताने को कहा। जब तक पासवर्ड नही बताया गया तब तक कैम्प में डी.जी.पी. का प्रवेश नही हुआ। डी.जी.पी. द्वारा वहां पदस्थ जवानों को केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह तथा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश तथा भावनाओं से अवगत कराया एवं कहा की मुख्यमंत्री आपकी समस्याओं के निराकरण के लिए सदैव तत्पर रहते है एवं आपके द्वारा किये जा रहे प्रयासों की नियमित रुप से जानकारी लेते है।

डी.जी.पी द्वारा जवानों से कहा कि आपके मनोबल में वृद्धि के लिये नवीन भत्ते तथा अभियानों में उल्लेखनीय कार्य करने पर क्रमपूर्व पदोन्नतियाँ की गई है।  डीजीपी के दवारा जवानों के साथ सघन अभियानों की जानकारी ली गयी। उनके द्वारा सचिंग, एरिया डॉमिनेशन तथा इंटबेस्ड ऑपरेशन की समीक्षा कर नक्सल मूवमेंट के चिन्हित क्षेत्रों में अभियानों में और अधिक गति लाने के निर्देश दिये। इस दौरान उनके द्वारा कैम्पों में स्थित बैरकों का निरिक्षण कर आवश्यक साफ़ सफाई रखने के लिए भी कहा। जवानों से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओ को जाना एवं त्वरित निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये।

बिठली में स्थित सीआरपीएफ कैम्प में डी.जी.पी. ने सीआरपीएफ की कार्यप्रणाली की जानकारी ली एवं इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि बालाघाट में सीआरपीएफ, हॉकफोर्स एवं अन्य पुलिस बल मिलकर नक्सलियों के विरुद्ध संयुक्त रुप से कार्यवाही कर रहे हैं। उन्होने सभी जवानों से आव्हान किया है कि केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमिल शाह की भावनाओं तथा मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशो का आदर करते हुए और भी अधिक समर्पण तथा मेहनत से लक्ष्य प्राप्ति के लिए जुट जाना है।

हॉक कैम्प में जवानों के साथ बितायी रात
डी.जी.पी सुधीर सक्सेना रात को हॉक कैम्प डोरा पहुंचे जहां पर उन्होने जवानों के साथ भोजन कर बैरक में रात्रि विश्राम किया। इस दौरान उन्होने जवानों के साथ अनौपचारिक चर्चा की एवं नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए उनके सुझाव लिए। हॉकफोर्स कैम्प में रात्रि के समय की जाने वाली सुरक्षा ड्रिल में भी डी.जी.पी. शामिल रहे जिससे जवानों के मनोबल में आशातीत वृद्धि हुई। डी.जी.पी द्वारा अधिकारियों को नवीन नक्सल आत्मसमर्पण नीति रणनीति के प्रावधानों का प्रचार स्थानीय निवासियों के माध्यम से करने तथा नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिये प्रोत्साहित किये जाने के भी निर्देश दिये है।

वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ली संयुक्त बैठक
दिनांक 14.10.2024 को पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर कुमार सक्सेना ने डी.जी. CRPF के साथ नक्सल समस्या के खात्मे एवं आगे की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक की। इस बैठक में IB एवं CRPF के वरिष्ठ अधिकारी, IG बालाघाट, IG  तथा  DIG  नक्सल विरोधी अभियान, DIG  बालाघाट रेंज कलेक्टर बालाघाट, पुलिस अधीक्षक बालाघाट, मंडला, डिण्डौरी, कान्हा फिल्ड डायरेक्टर, DFO, के अलावा जिला बालाघाट के अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में विशेष रुप से पुलिस अधीक्षक गोंदिया (महाराष्ट्र), कबीरधाम (छत्तीसगढ़) तथा खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) भी आमंत्रित किये गये। इस बैठक में सामूहिक रणनीति के तहत आपसी समन्वयन स्थापित कर नक्सल अभियान में तेजी लाने एवं नक्सलवाद के खात्मे हेतु विस्तार से चर्चा की गई। नक्सल अभियान में अपनायी जाने वाली रणनीति, सीमावर्ती जिलों में आपसी समन्वय तथा संयुक्त अभियानों को और प्रभावी तथा कारगर बनाये जाने के संबंध में कार्ययोजना पर विचार किया गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचालित विकास संबंधी योजनाओं के जैसे सड़क, सम्पर्क, पर्यावरण, दूरसंचार से संबंधित विकास कार्यों को समयावधि में पूर्ण करने हेतु चर्चा की गई, जिससे सामान्य जन में विश्वास बढे।

 

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