नई दिल्ली
दिल्ली-NCR में फैले प्रदूषण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट पराली जलाने के मुद्दे पर CAQM को भी फटकारा है। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहे अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई करने के बजाय उन्हें सिर्फ नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है।
मनु सिंघवी पर नाराज हुए जज
सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकारी की तरफ से दलील दे रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर भी जज नाराज दिखाई दिए। जैसे ही कोर्ट रूम में सिंघवी ने कुछ कहने की कोशिश की तो जज नाराज होकर बोले आप हमें कुछ अघिर कहने के लिए मजबूर न करें। आप कह रहे हैं कि इस साल 5 केस दर्ज हुए हैं, सिर्फ 5 क्या ये संभव है?
कानून तोड़ रही सरकारें
सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने वालों पर कार्यवाही न करके दोनों राज्य सरकारें नागरिकों के जीवन जीने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकारें कानून लागू करने में गंभीर होतीं, तो कम से कम एक मुकदमा तो जरूर दर्ज होता। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा कि पराली जलाने के 1080 मामलों में FIR दर्ज हुईं, लेकिन केवल 473 लोगों से ही जुर्माना वसूला गया। आप 600 से ज्यादा लोगों को बख्श रहे हैं। सच तो यह है कि आप कानून तोड़ने वालों को संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। यह पिछले तीन साल से चल रहा है।
'आपके आंकड़े हर मिनट बदल रहे'
हरियाणा के मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में पराली जलाने की 400 घटनाएं हुई हैं और 32 FIR दर्ज की गई हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके आंकड़े हर मिनट बदल रहे हैं। हरियाणा कुछ लोगों को चुनकर मुआवजा दे रहा है और बहुत कम लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर रहा है।कोर्ट ने कहा कि हम कुछ लोगों पर FIR दर्ज करने और कुछ पर नाममात्र का जुर्माना लगाने को लेकर चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव से पूछा कि पराली के निपटारे के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और क्या किसानों को कुछ दिया गया है। मुख्य सचिव ने बताया कि पराली प्रबंधन के लिए लगभग 1 लाख मशीनें दी गई हैं, जिससे आग की घटनाओं में कमी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय आ गया है कि केंद्र और पंजाब और हरियाणा राज्यों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। हम चिंतित हैं, कुछ पर FIR दर्ज करना और कुछ पर नाममात्र का जुर्माना लगाना।