राजनीति

कांग्रेस को हरियाणा और जम्मू-कश्‍मीर चुनावों में ले डूबा राहुल गांधी की बातों का ओवरडोज

नई दिल्ली

आजकल मीडिया में इस बात के बहुत चर्चे थे कि कांग्रेस नेता राहुल का मेकओवर हो गया है. राहुल गांधी की बातें देश की जनता प्रधानमंत्री से भी अधिक सुन रही है. काग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने तो बकायदा सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी हैंडल के आंकड़ों की तुलना करते हुए इसे साबित भी किया था. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि राहुल गांधी आजकल कुछ भी बोलते हैं सभी नैशनल टीवी चैनल उनको कवर करते हैं क्योंकि जनता उन्हें सुनना चाह रही है. पर जब आप बेवजह की बातें करने लगते हैं तो जनता के लिए वे बातें ओवरडोज हो जातीं हैं. क्या ऐसा ही कुछ राहुल गांधी के साथ भी हुआ है?

क्योंकि जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसा एक मजबूत साथी का समर्थन होने के बावजूद कांग्रेस का वहां से सफाया हो गया है.कांग्रेस को जम्मू में केवल एक मुस्लिम प्रत्याशी वाली सीट ही मिल सकी है. जबकि नेशनल कान्फ्रेंस ने जम्मू की कई सीटें हिंदू प्रत्याशी खडे़ कर भी जीत लिए हैं. यहां तक कि जम्मू कश्मीर बीजेपी प्रेसिडेंट रविंद्र रैना को भी हराने वाला नेशनल कॉन्फेंस का एक हिंदू प्रत्याशी ही है. यहां हिंदू प्रत्याशी और मुस्लिम प्रत्याशी का नाम इसलिए लिया जा रहा है ताकि यह बताया जा सके वोटों का ध्रुवीकरण कम से कम जम्मू में हिंदू मुस्लिम के नाम पर नहीं हुआ है. इसके बावजूद जम्मू में कांग्रेस की दाल नहीं गली है.

1- हरियाणा और जम्मू में नहीं चला राहुल गांधी की बातों का जोर

राहुल गांधी ने इस बार के चुनावों में बीजेपी में चुनाव प्रचार के महारथी कहे जाने वाले प्रधानमंत्री मोदी से भी कहीं अधिक रैलियां , सभाएं और रोड शो किया. पर जाट बेल्ट तक में कांग्रेस की हालत खराब रही. कांग्रेस की लहर के बावजूद बीजेपी अगर हरियाणा में तीसरी बार पूरे बहुमत के साथ अगर सरकार बनाने जा रही है तो इसका मतलब है कि राहुल गांधी का करिष्मा काम नहीं किया है. उनके साथ उनकी बहन प्रियंका भी पूरी तरह लगी हुईं थीं.

जम्मू में भी अब तक की सबसे बड़ी हार कांग्रेस को देखने को मिली है. कांग्रेस जम्मू कश्मीर में 32 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिनमें से 10 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडट उतारे और 22 हिंदुओं को टिकट दिया.पर जम्मू में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली. जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस को कुल 42 सीटों पर जीत मिली है जिसमें कुछ सीटें उसने जम्मू में हिंदू कैंडिडेट खडा़ कर भी जीत लिया है. पर कांग्रेस जम्मू से साफ हो गई है. कश्मीर में उसे 6 सीटें मिलीं हैं पर वो सभी मु्स्लिम कैंडिडेट वाली सीटें आईं हैं.मतलब साफ है कि कांग्रेस की स्थिति बीजेपी से तो खराब रही है नेशनल कॉन्फ्रेंस से भी खराब रहीं. इसका एक और मतलब निकलता है कि जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को मिली सीटें भी नेशनल कॉन्फ्रेंस की बदौलत ही आईं हैं. जाहिर है कि हरियाणा और जम्मू में कांग्रेस को मिली हार से राहुल गांधी के भाषणों और मुद्दों को तो टार्गेट किया जाएगा.

2-जाति जनगणना का मुद्दा क्या उल्टा पड़ गया हरियाणा में

हरियाणा में जिस तरह कांग्रेस को हार मिली है और जिस तरह बीजेपी के प्रत्य़ाशियों को जाट सीटों पर वोट मिले हैं उसका सीधा मतलब है कि जाति जनगणना का मुद्दा नहीं चला है. हरियाणा में ओबीसी वोटर्स ने बीजेपी का साथ पूरी ईमानदारी के साथ दिया है.विनेश फोगाट का मुकाबला बीजेपी के एक ओबीसी कैंडिडेट से था. बीजेपी को भी ऐसा लग रहा था कि योगेश बैरागी कहीं विनेश के सामने टिक नहीं रहे हैं. इसलिए ही शायद बीजेपी ने यहां कम ध्यान दिया. पर विनेश के मुकाबले योगेश को केवल 6 हजार वोट कम मिले हैं. ये बताता है कि विनेश को पिछड़ी जातियों के वोट नहीं मिले.मतलबा साफ है कि राहुल गांधी के सामाजिक न्याय की बातें हरियाणा की जनता को हजम नहीं हुईं.

3-जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी कभी नहीं भाएगी कांग्रेस के कोर वोटर्स को

राहुल गांधी अपने गुरु ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की इच्छानुसार कई बार देश की संपत्तियों के बंटवारे की बात करते रहे हैं. इसके साथ ही जाति जनगणना के पीछे उनका इरादा है कि देश में अमीरों की संपत्ति का बंटवारा किया जा सके. वैसे तो हरियाणा में उन्होंने इस मुद्दे पर जोर नहीं दिया नहीं तो जाटों का वोट भी कांग्रेस को नहीं मिलता . क्योंकि हरियाणा में जाटों के पास सबसे अधिक जमीन है.वह कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी जमीन का बंदरबांट हो.दरअसल राहुल गांधी की ये विचारधारा उन्हें वामपंथ के नजदीक ले जाती है. जबकि वामपंथी विचारधार अब पूरी दुनिया से खत्म हो चुकी है.

4-संविधान बचाओ- आरक्षण बचाओ नारे की हवा निकली

हरियाणा में जिस तरह दलितों ने बीजेपी या अन्य को वोट दिया है उससे नहीं लगता है कि अब संविधान बचाओ-आरक्षण बचाओ का मुद्दा रह गया है. हो सकता है कि दलितों का वोट बीजेपी को नहीं मिला हो. पर यह भी तय है कि कम से कम कांग्रेस को नहीं मिला है. लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में दलित वोटों जरूर विपक्ष को गए थे. हरियाणा के विश्वेषण से ऐसा लगता है कि दलित वोटों पर प्रभाव इस नारे का नहीं था. इसके लिए यूपी चुनावों की फिर से विश्लेषण करना होगा.

5-अडानी और अंबानी के खिलाफ एजेंडा

राहुल गांधी के भाषणों में अब भी अडानी और अंबानी छाए रहते हैं. बार-बार वो याद दिलाते हैं कि राम मंदिर के उद्घाटन के समय अडानी-अंबानी और अमिताभ बच्चन दिखे. गरीब , दलित और पिछड़े नहीं दिखे. वो अपने भाषणों में साबित करते हैं कि पीएम मोदी जो भी करते हैं वो अपने दोस्तों अडानी और अंबानी के लिए करते हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस सरकारें अडानी- अंबानी के साथ मधुर रिश्ते रखती हैं इसका जवाब वो नहीं देते. हरियाणा में चुनाव के दौरान उन्होंने एक दिन कहा कि अंबानी के घर शादी में कौन गया था. आपने देखा वहां मोदी गए थे पर मैं नहीं गया था.जाहिर है कि अडानी-अंबानी की बातें लोगों को अब ओवरडोज हो रही हैं.
 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button